
पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर लोहराकोट की सैकड़ों महिलाएं पहुंचीं पुलिस अधीक्षक कार्यालय, सौंपा ज्ञापन
सक्ती। मंगलवार को सक्ती पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में सैकड़ों महिलाओं की भीड़ देखी गई। जानकारी के अनुसार, ये महिलाएं ग्राम लोहराकोट की सरपंच श्रीमती सरस्वती गणेश श्रीवास के नेतृत्व में पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक प्रफुल ठाकुर से मिलने पहुंची थीं। महिलाओं के साथ कई ग्रामीण पुरुष भी मौजूद थे जिन्होंने इस अभियान का समर्थन किया।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नशे की लत तेजी से फैल रही है, जिससे युवा वर्ग तो प्रभावित हो ही रहा है, बुजुर्ग भी अब इससे अछूते नहीं हैं। सरपंच श्रीमती श्रीवास ने बताया कि “हमारा गांव पूरी तरह से आदिवासी है। शिक्षा की कमी के कारण यहां के किशोर और युवा महुआ शराब, गांजा और अवैध शराब के सेवन में लिप्त हो रहे हैं। इससे गांव का विकास रुक गया है और सामाजिक वातावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।”
महिलाओं ने ज्ञापन में मांग की है कि गांव में पूर्ण शराबबंदी लागू की जाए और पुलिस गश्त नियमित रूप से कराई जाए, क्योंकि गांव जिले के अंतिम छोर पर स्थित होने के कारण पुलिस की उपस्थिति बहुत कम रहती है। इस स्थिति का फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्व खुलेआम नशे के कारोबार को चला रहे हैं।
ग्रामवासियों ने बताया कि कुछ दिन पहले महिलाओं ने गांव में बैठक कर 10 दिनों के भीतर अवैध कारोबार बंद करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद जब उन्होंने गांव में रैली निकालकर नशा मुक्ति का संदेश देने की कोशिश की, तो कुछ असामाजिक लोगों ने रैली में अड़चन डालने और धमकी देने का प्रयास किया। महिलाओं ने इस बात की शिकायत भी पुलिस अधीक्षक को सौंपी है।



पुलिस अधीक्षक प्रफुल ठाकुर ने महिलाओं से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा और सरकार के नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सरपंच व ग्रामीणों से किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करने की बात भी कही।
ग्राम के निवासी कौशल कुमार गोंड ने सवाल उठाते हुए कहा कि “हमारे गांव तक पहुंचने के लिए जेठा रेलवे फाटक पार करना पड़ता है, जहां आबकारी विभाग का कार्यालय भी स्थित है। क्या अधिकारियों को महुआ शराब की गंध नहीं आती? या फिर उनके संरक्षण में यह सब चल रहा है?”
ग्रामीणों का कहना है कि अब गेंद पुलिस प्रशासन के पाले में है — देखना यह है कि वे इस ज्ञापन पर कठोर कार्रवाई करते हैं या फिर नशे के कारोबारियों को अभयदान मिल जाता है।








