

दो पुलिसकर्मियों पर रिश्वतखोरी और झूठे केस में फंसाने का लगा आरोप
मामला शक्ति जिले के हसौद थाना क्षेत्र का है
महेंद्र मित्तल की गिरफ्तारी के बाद उसके भाई भगत मित्तल ने सक्ति पुलिस अधीक्षक को आवेदन सौंपकर न्यायोचित कार्यवाही करने की मांग करते हुए दो आरक्षकों के खिलाफ रिश्वत मांगे जाने के आरोप लगाए है।
शक्ति ।सक्ती जिला के हसौद थाना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां थाना में पदस्थ दो पुलिसकर्मियों पर न सिर्फ रिश्वत मांगने, बल्कि एक निर्दोष युवक को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगा है। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने 70 लीटर पानी को शराब घोषित कर दिया और युवक से एक लाख रुपए की मांग की।

जब्त किए हुए बोरे को देख कर तो नहीं लगता कि इसमें 70 लीटर शराब आ जाएगी

जानकारी के मुताबिक, ग्राम मल्दा निवासी भगत मित्तल ने पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर शिकायत की है कि उसके भाई महेंद्र मित्तल को हसौद थाना के प्रधान आरक्षक नंदू साहू और प्रधान आरक्षक अश्वनी जायसवाल ने झूठे शराब केस में फंसा कर जेल भेज दिया है।

पीड़ित परिवार का कहना है कि 9 नवंबर को महेंद्र मित्तल अपने निजी कार्य से हसौद आया था, तभी दोनों पुलिस कर्मियों ने उसे रोक लिया, गाड़ी में बिठाया और करीब डेढ़ घंटे तक घुमाते रहे। इस दौरान उन्होंने एक लाख रुपए की मांग की। जब महेंद्र मित्तल ने पैसे देने से मना किया, तो दोनों पुलिस कर्मियों ने कैथा के पप्पू ढाबा में जाकर बोरी और पन्नी, मांगी और उसमें पानी डालकर 70 लीटर शराब घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि आरक्षक नंदू साहू बार-बार पैसे की मांग करता था। पीड़ित पक्ष के अनुसार आवेदन में बताया गया है कि पैसा मांगने की उसकी रिकॉर्डिंग भी है और ढाबे का सीसीटीवी फुटेज भी, पीड़ित पक्ष ने इस मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक सक्ती से की है साथ ही कलेक्टर जनदर्शन में भी आवेदन दिया है और आरोपियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही की मांग की है। बताया जा रहा है कि प्रधान आरक्षक अश्वनी जायसवाल पहले भी कई बार इस तरह के आरोपों में चर्चा में रह चुका है। पीड़ित पक्ष ने एसपी और कलेक्टर से जनदर्शन के माध्यम से न्याय की गुहार लगाई है और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
पूर्व में भी आरक्षकों की भूमिका संदेहास्पद
सूत्रों से ज्ञात मालूम होता है कि कार्यवाही करने वाले आरक्षकों की भूमिका पूर्व में भी संदेहास्पद रही है ,अगर पुलिस के उच्च अधिकारियों के द्वारा सही से जांच किया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट भी कहता है कि कोई दोषी छूट जाए तो ठीक परंतु किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए। फिरहाल इस मामले में कोई भी खुलासा पुलिस की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा ।
हसौद थाने में आबकारी की कार्रवाई की गई है जिसको लेकर एस पी कार्यालय में शिकायत हुई है। जांच करने के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामले में आरोपी बचाने के लिए भी पुलिस पर आरोप लगा देते है।
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हरीश यादव
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सक्ति
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