प्रशासन की चुप्पी और सफेदपोशों की मिलीभगत से फल-फूल रहा काला कारोबार

नगर में अवैध प्लॉटिंग का साम्राज्य:

प्रशासन की चुप्पी और सफेदपोशों की मिलीभगत से फल-फूल रहा काला कारोबार

चांपा। नगर में अवैध प्लॉटिंग का कारोबार इन दिनों अपने चरम पर है। नगर पालिका प्रशासन द्वारा न तो रखड़ पाटने (फिलिंग) की अनुमति दी जाती है और न ही अनियमित प्लॉटिंग की, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। शहर के कई हिस्सों में खुलेआम गड्ढों को भरकर जमीन तैयार की जा रही है और फिर उसकी प्लॉटिंग कर आम लोगों को “सस्ते निवेश” का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी की जा रही है।

कैसे चलता है अवैध प्लॉटिंग का खेल

स्थानीय स्रोतों के अनुसार यह पूरा काराेबार एक सुनियोजित तरीके से संचालित हो रहा है। इसकी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है—

1 पहला चरण : अवैध कारोबारी शहर के भीतर या आसपास ऐसे खाली प्लॉटों की तलाश करते हैं जिनमें गड्ढे, नाले या नीची जमीन हो।


2. दूसरा चरण: भूमि मालिक से सस्ते सौदे की आड़ में प्लॉट खरीद लिया जाता है।


3. तीसरा चरण: बिना अनुमति के रातों-रात रखड़ पाटकर जमीन को समतल कर दिया जाता है।


4. चौथा चरण: जमीन को “रेडी टू प्लॉट” बताकर नक्शा पाने का भ्रम फैलाया जाता है।


5. पांचवां चरण: भोले-भाले लोगों को “बेहतरीन निवेश” का झांसा देकर मोटी रकम वसूली जाती है।



इस प्रक्रिया में न केवल सरकारी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं बल्कि पर्यावरण, जलनिकासी, और नगर विकास की मूल योजनाओं को भी भारी नुकसान पहुंचता है।

अवैध कमााई से बना रहे सफेदपोश छवि

नगर में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिन्होंने इसी अवैध कमाई से अपना रसूख खड़ा कर लिया है।
समाज में खुद को बड़ा कारोबारी और प्रभावशाली व्यक्तित्व दिखाने वाले ये लोग वास्तव में जमीन के अवैध व्यापार के माध्यम से करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं।
स्थिति यह है कि तगादों और विवादों से बचने के लिए कई लोग किराए के गुर्गों तक रखते हैं, ताकि कोई उन तक आसानी से सवाल लेकर न पहुंच सके।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब नगर पालिका क्षेत्र के तहत रखड़ पाटना पूरी तरह प्रतिबंधित है, तो फिर शहर के विभिन्न कोनों में यह काम किसकी शह पर हो रहा है?

क्या अधिकारी इस अवैध गतिविधि से अनजान हैं?

या फिर जानने के बावजूद कार्रवाई से बच रहे हैं?


जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि प्रशासन की उदासीनता और कमजोर निगरानी ने ही अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद किए हैं।
सरकारी दावे कागजों में सख्त दिखाई देते हैं, लेकिन धरातल पर उनका असर नाममात्र का भी नहीं।

भाजपा सरकार के नियम भी कागज़ों तक सीमित?

छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन ने अवैध प्लॉटिंग पर नकेल कसने के लिए कई नए नियम लागू किए हैं।
लेकिन चांपा नगर में स्थिति यह है कि सख्ती सिर्फ आदेशों तक सीमित है।
जमीन पर वास्तविक कार्रवाई न होने से अवैध कारोबारी और भी बेखौफ होते जा रहे हैं।

जनता के साथ दोहरी ठगी

अवैध प्लॉटिंग का सबसे बड़ा खामियाज़ा साधारण नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
वे—

न तो वैध नक्शा पा पाते हैं

न रजिस्ट्री पूरी होती है

न भविष्य में सरकारी सुविधाएं मिल पाती हैं


इस प्रकार जनता को पूरी तरह ठगा जा रहा है और बाद में कानूनी झंझटों में फंसना पड़ता है।

काली कमाई के पीछे छिपे प्रभावशाली चेहरे

नगर में कुछ लोग आज करोड़ों की लाइफस्टाइल में जी रहे हैं, बड़े-बड़े वाहनों, राजनैतिक मेलजोल और सामाजिक मंचों पर मौजूदगी के कारण रसूखदार माने जाते हैं।
लेकिन उनकी इस “चमक-दमक” के पीछे जमीन के अवैध सौदों का ही काला खेल छिपा होता है।




क्या प्रशासन अब जागेगा?

नगरवासियों की मांग है कि—

अवैध प्लॉटिंग करने वालों की पहचान कर तुरंत कार्रवाई की जाए

अवैध रखड़ पाटने पर रोक लगाने के लिए नियमित निगरानी हो

नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए


अन्यथा आने वाले दिनों में नगर का भू-परिदृश्य ही बिगड़ जाएगा और जनता के साथ धोखाधड़ी के मामले और बढ़ते जाएंगे।



इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुुए चांपा के राजस्व अधिकारी एसडीएम पवन कोसमा ने कहा है कि वैसे तो हमारे द्वारा समय समय पर अभियान चला कर अवैध प्लॉटिंग करने वाले के खिलाफ कार्यवाही की जाती है परंतु नगरीय क्षेत्र में निगरानी करने का काम पहले मुख्य नगर पालिका अधिकारी का है और उन्हें इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने का अधिकार भी है। अगर किसी की शिकायत प्राप्त होती है को जांच करके कार्यवाही की जाएगी।

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