




जिले में संचालित प्लांट शांति जीडी इस्पात पावर प्राइवेट लिमिटेड महुदा में आज प्लांट की लापरवाही से एक नाबालिक मजदूर की मौत का मामला प्रकाश में आया है तो वही दूसरी ओर प्रशासनिक साठ गांठ की चर्चा की तेजी से सुनने में आ रही है । यही वजह है कि मजदूर की मौत के बाद पुलिस प्रशासन तत्काल प्रभाव के मौके पर पहुंच गई और मामले को अपने जांच के घेरे में लेने की बात करते हुए किसी भी व्यक्ति के अंदर जाने नहीं दिया गया। मजदूर की मौत हो जाने की बात सुनते ही गांव वाले लोगों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि और पत्रकार मौके पर पहुंचे जिसके बाद से ही मौके पर मौजूद प्रशासन के अधिकारियों ने सभी लोगों को प्लांट के अंदर नहीं जाने के सख्त निर्देश ऊपर के अधिकारियों से प्राप्त होना बताया तो वही ड्यूटी में तैनात सरगांव के थाना प्रभारी गेट में खड़े होकर लोगो को अंदर जाने से मना करते नजर आए इससे लोगो द्वारा लग रहे आरोप को सही माना जा रहा है। क्योंकि स्थानीय और वहां काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि शासन की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए प्लांट में चलती है अपनी मनमर्जी जिस वहां से वहां काम करने वाले लोग परेशान रहते है। आपको बता दे कि शांति जीडी प्लांट के लिए यह कोई नई बात नहीं है आए दिन अपने किसी न किसी कांड के लिए हमेशा से ही सुर्खियां बटोरने वाला यह प्लांट लोगों की नाज में बना हुआ है तो वही लोगों का आरोप है कि प्लेट को राजनैतिक पार्टियों का संरक्षण प्राप्त है जिस वजह से प्लांट में काम करें वाले मजदूरों का लगातार शोषण हो रहा है और प्रशासनिक अधिकारी इनके समाने नतमस्तक नजर आते है। आजी की घटना की बात करे तो सुबह लगभग 6 बजे प्लांट में काम करने वाला मजदूर भुवन बरेठ जो कि परसवानी गांव का रहने वाला था।उसकी प्लांट में लगे कन्वेयर बेल्ट में फंस कर मौत हो गई जिसके बाद से प्लांट में अफरा तफरी का माहौल बन गया था मौत की सूचना पाकर प्लांट गेट पर लोगो की भीड़ लगना चालू हो गई थी जिसके बाद तत्काल प्रभाव से प्लांट की लापरवाही उजागर ना हो इसलिए प्रशासन के नुमाइंदों को बुलाकर गेट में खड़ा कर दिया गया और देखते ही देखते माहौल बिगड़ने लगा तब गुप चुप तरीके से प्लांट प्रबंधन ने मृतक नाबालिक मजदूर भुवन बरेठ के परिजनों को बुलाकर समझौता करने में जुट गई । तो वही प्लांट में मौजूद प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष दबाव बनाकर आपसी समझौते के लिए तैयार कर लिया गया है जिसमें उस मृतक का रेट 30 लाख तय किया गया है और एक नौकरी में कर लिया गया है।सूत्रों से पता चला है कि वहां काम करने वाले उस मजदूर भुवन का कोई पंजीयन पूर्व में नहीं किया गया था। अब इसे में सवाल यह पैदा होता है कि इस कृत्य से प्लांट प्रबंधन की घोर लहरपवाही लोगो के सामने आने लगी है जोकि गलत है ।और अगर गलत है तो अभी तक प्रशासन चुप क्यों बैठा हुआ है। अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं की गई है यह सारे सवालिया निशानों के घेरे में है । आजी की घटना उपरांत परिजनों से सौदा हो जाने के बाद मृतक की डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पताल ले जाया गया है जहां पर सरकारी औपचारिकता पूरी करने के बाद परिजनों को बॉडी अंतिम संस्कार के लिए सूप दिया जाएगा । परंतु सवाल यहां यह खड़ा हो रहा है कि क्या सरकारी प्रजातंत्र और पुलिस प्रशासन प्लांट पर कड़ी कार्यवाही करेगा यह फिर हमेशा की तरह अभय दान दे कर छोड़ दिया जाएगा। देखा जाए तो पूर्व में ही प्लांट द्वारा की गई गलतियों को लेकर अगर प्रशासन सख्त कदम उठा लेता तो शायद यह नौबत नहीं आती और शायद आज भुवन बरेठ जिंदा होता। हमेशा से ही प्लांट अपनी लापरवाहियों को वजह से सुर्खियां बटोरते हुए ही नजर आया है। चाहे वो जमीन में अवैध अतिक्रमण को लेकर हो या अपने मर्जी के कही भी प्लांट से निकलने वाले वेस्ट राखड़ को लेकर हो ।इतना हो जाने के बाद भी या स्पष्ट होता प्रतीत हो रहा है कि इस प्लांट को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है जिस वजह से प्रशासनिक चुप्पी बनी हुई है ।जिसका खामियाजा आज एक को अपनी जान गवानी पड़ी और ऐसा ही हाल रहा तो कल किसी और का नंबर होगा।अब देखना यह है कि इस खबर के बाद प्लांट प्रबंधन पर कोई ठोस कार्यवाही होती है या फिर पहले जैसे सब कुंभकर्णी नींद में सोए रहेंगे।
वर्जन
जिले के पुलिस अधिकारी एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने बताया कि प्लांट में एक मजदूर भुवन बरेठ की मृत्यु हुई है और पुलिस द्वारा कार्यवाही की जा रही है और मृतक के नाबालिक होने की बात पर हम लेबर डिपार्टमेंट की गाइडलाइन के तहत मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करेंगे। तो वही प्लांट प्रबंधन और मृतक के परिजनों के आपसी समझौता हो जाने की बात कही है।




