
चांपा। नगर में इन दिनों लगातार आपराधिक घटनाओं में इजाफा होता जा रहा है। वही बीते दिनों में पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़ा होता जा रहा है बावजूद जिले के पुलिस कप्तान विवेक शुक्ला के संरक्षण में चांपा थाने के निरीक्षक डॉ नरेश पटेल की तूती बोल रही है। नगर में घटनाओं के होने के बाद चांपा थाने के निरीक्षक डॉ नरेश पटेल यही कहते फिरते है कि मामूली घटनाएं हैं? बाद में आकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा लेना। लेकिन मामूली या बड़ी घटना के बाद भी निरीक्षक डॉ नरेश पटेल नगर के जनता के सामने अपने इस अनोखे रूप के कारण विख्यात होते जा रहे है। कहते हैं कि नाम बड़े और दर्शन छोटे यही कहावत चांपा थाने के अधिकारी और कर्मचारियों पर सटीक बैठती है। वही कानून के नियमों और वर्दी की दादागिरी कोई इनसे सीखे? क्योंकि चांपा नगर की जनता ऐसे निरीक्षक के भरोसे चल रहा है जिसे थाना चलाने की जानकारी भी ठीक से नहीं है, नियमों का हवाला और अपनी मनमर्जी से लोगों की आंख में पहले से ही खटक रहे है वहीं जिले के पुलिस कप्तान की शह में और भी अनोखे अंदाज में नजर आते है। जिसके चलते काम भी नहीं करना पड़ता। चांपा थाने की सारी जानकारी जो निरीक्षक को देनी चाहिए उसे जिले के पुलिस कप्तान और एसडीओपी से लेनी पड़ती है।
बीते सप्ताह चांपा थाने में करीबन 300 से भी अधिक महिलाओं और जनप्रतिनिधियों ने चांपा थाने का घेराव कर दिया था। जहां पुलिस प्रशासन हाय हाय के नारे भी लगाए गए थे। जिसमें पुलिस की भरपूर किरकिरी हो रही है। बावजूद इसके चांपा थाने के निरीक्षक डॉ नरेश पटेल अपने हरकतों से बाज नहीं आ रहे है।
ताजा मामला बीती रात का है। जहां ठेके पर दिए शासन के दुकान में कुछ उपद्रवी लोगों ने तत्कालीन संचालक पर हमला कर दिया। हमले की वजह थी कि दुकानदार ने ग्राहक से समान के पैसे मांग लिए और ग्राहक ने दबंगई दिखाते हुए उल्टा पैसे देने की बजाय दुकानदार के साथ मारपीट कर डाली।जिसकी जानकारी चांपा थाने में देने पहुंचे संचालक से पुलिस कर्मचारियों ने टी आई के नहीं होने का हवाला देकर कहा कि थाना प्रभारी चुनाव ड्यूटी में है उनके आने के बाद एफ आई आर दर्ज किया जाएगा। मामला यही खत्म नहीं हुआ, इसकी जानकारी प्रार्थी ने जिले के पुलिस कप्तान को भी दी, जिस पर उन्होंने भी चुनाव ड्यूटी में होने की बात कहते हुए आने पर बात कर लेने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जिसके बाद देर रात थाना प्रभारी से फोन पर बात करने के बाद प्रार्थी अपने साथियों सहित रिपोर्ट लिखवाने थाने पहुंचे । थाना में उनकी बात सुनते हुए उनका मुलायजा भरा ही जा रहा था कि थाना प्रभारी भी आ पहुंचे। जिसके बाद गुस्से में थाना प्रभारी ने अपने कर्मचारी से कहा इनका आवेदन लेकर इनको फेना दे दो क्योंकि एक झापड़ ही तो मारा है उसमें क्या अपराध बनता है। वाह चांपा थाना प्रभारी वाह एक तो अपराधिक गतिविधियों में लगाम लगा पाने नाकाम है उसके बाद भी अपनी गलती नहीं मानते। और तो और उसके बाद बदतमीजी भी करने से बज नहीं आते। इसके पहले भी जब एक आपराधिक घटना की रिपोर्ट लिखवाने प्रार्थी थाना इनके समक्ष हाजिर हुए थे तब भी इन्होंने कहा था ही मै चौकीदार हु क्या की बस मेरा यही काम है कहकर उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी अब कौन समझाए इनको की लोगो की शिकायत सुनकर उसपर कार्यवाही करना ही इनका मुख्य काम है । पर नहीं साहब तो अपनी चाल चला करते है क्योंकि इनके पास लोगो की समस्या सुनने के अलावा भी बहुत से कम होते है तो वही साहब ठहरे बिजी पर्सन लोगो का फोन उठाना भी लाजमी नहीं समझते वरना 8 बजे की घटना की रिपोर्ट 1 बजे तक भी नहीं लिख पाए।
गौर करने वाली बात यह भी है कि जब नगर में कोई कार्य करना हो या कैमरे लगवाने की बात आती है तो यही पुलिस नगर के व्यापारियों से मदद की अपील करती है और जब व्यापारी कोई मदद इनसे मांगता है तो ये पुलिस वाले कहते है एक झापड़ ही तो मारा है इसमें क्या अपराध बनता है। ऐसे कृत्यों से ख़ाखी पर सवाल उठने लगे है।
थाना प्रभारी के गलत रवैए के चलते ही नगर का माहौल दिनों दिन खराब होता जा रहा है। ट्रांसफर होने के बाद भी उच्च अधिकारियों से सेटिंग कर अभी तक यही जमे हुए है।
अगर ऐसा कम थाना प्रभारी ने किया है तो उन्हें तत्काल उस व्यापारी से माफी मांगते हुए अपराध पंजीबद्ध किया जाना चाहिए नहीं तो नगर के व्यापारी बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे जिसके लिए प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।
विनय अग्रवाल
,सदस्य, चैंबर ऑफ कॉमर्स , इकाई चांपा