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सुर्खियों में चांपा थाना — हकीकत कुछ और, पर दर्शाया कुछ और! वाह रे पुलिस…

सुर्खियों में चांपा थाना — हकीकत कुछ और, पर दर्शाया कुछ और! वाह रे पुलिस…

जांजगीर -चांपा।
“वाह रे पुलिस और वाह रे पुलिसिया कार्यवाही!” — यह जुमला इन दिनों जिले की चांपा पुलिस पर सटीक बैठता नजर आ रहा है। अपने विवादित कार्यों और मनमानी के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाली चांपा पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला सिर्फ कार्यवाही की नहीं, बल्कि कानून के दायरे को ताक पर रखकर आरोपी के साथ कथित मारपीट और फर्जी केस दर्ज करने का है।

शिकायत लेकर आईं महिलाएं, अवैध कारोबार पर पुलिस खामोश
चांपा नगर में अवैध कारोबार, खासकर शराब बिक्री और अमानक वस्तुओं की उपलब्धता, खुलकर चल रही है। बीते दिनों नगर की कुछ महिलाएं इसी विषय पर शिकायत लेकर थाना पहुंचीं। लेकिन नतीजा वही — “कार्यवाही शून्य, प्रचार अधिक।”
पुलिस, अपराध नियंत्रण में विफल होने के बावजूद, अपने “कागजी कारनामों” से अपनी पीठ थपथपाने से बाज नहीं आ रही।

बाइक चोरी के आरोपी से मारपीट, फिर फर्जी शराब केस

सूत्रों के अनुसार, सिवनी क्षेत्र के दुर्गा पंडाल के पास से बाइक चोरी के एक आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया था। पूछताछ के दौरान आरोपी ने चोरी की बात तो कबूल की, लेकिन पुलिस बाइक बरामद नहीं कर सकी।
नाकामी छिपाने के लिए थाने में आरोपी की पिटाई की गई। जब उसकी हालत बिगड़ी और परिजनों को जानकारी मिली, तो पुलिस पर शिकायत की आशंका बढ़ गई।
तभी थाना प्रभारी गुप्ता ने कहानी पलट दी — आरोपी को शराब तस्करी के फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया।

थाना प्रभारी का कबूलनामा बना सुर्खी

मामले ने तब तूल पकड़ा जब थाना प्रभारी ने खुद मीडिया से बातचीत में कबूल किया कि पूछताछ के दौरान आरोपी के साथ “मारपीट हुई” और बाद में “शराब केस में जेल भेजा गया।”
अब यही बयान पूरे जिले में चर्चा का विषय है —

“अगर थाना प्रभारी खुद मारपीट और फर्जी केस की बात मान चुके हैं, तो क्या कार्रवाई होगी या फिर ‘अभयदान’?” — जनता का सवाल।

पहले भी सामने आ चुके हैं आरोप

यह कोई पहली बार नहीं जब चांपा थाना इस तरह की मनमानी को लेकर चर्चा में आया हो।
कुछ सप्ताह पूर्व भी एक व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर थाना पहुंचा था, लेकिन उसकी बात सुने बिना पुलिस ने उसे “फैना जाओ” (कोर्ट जाने) की सलाह दे दी।
इसी दौरान विवाद बढ़ा, पुलिस अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के साथ गाली-गलौज और हाथापाई तक की।
जब मामला बढ़ा, तो शिकायतकर्ता रातों-रात अपने परिवार सहित पुलिस अधीक्षक (SP) के आवास पहुंच गया।
परंतु, वहां भी चांपा थाना के कर्मचारियों ने उसे “खदेड़ने” की कोशिश की।
अगले दिन SP ने मामले की जांच का आश्वासन दिया, लेकिन आरोप है कि इसके बाद भी थाने ने उल्टा शिकायतकर्ता के खिलाफ ही गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज कर दिया।

SP के सामने गाली गलौज, फिर भी अभयदान?

मामले की गूंज तब और बढ़ गई जब SP विजय पांडेय खुद चांपा थाना पहुंचे।
इस दौरान एक व्यक्ति ने थाने में ही खुलेआम गाली-गलौज की, लेकिन किसी तरह की सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं —

“क्या पुलिस अधीक्षक ने यह सब देखा नहीं?”
“क्या यह पुलिस अनुशासन का हिस्सा है या फिर दबंगई का खुला प्रदर्शन?”

थाना प्रभारी का बयान बनाम जमीनी सच्चाई

थाना प्रभारी का बयान जमीनी सच्चाई

“आरोपी ने चोरी कबूल की, बाद में शराब केस में भेजा गया।” बाइक अब तक बरामद नहीं, आरोपी की हालत पूछताछ में बिगड़ी, परिजनों के विरोध के बाद फर्जी केस बनाया गया।
“पूछताछ में सामान्य कार्रवाई हुई।” मीडिया से बातचीत में खुद थाना प्रभारी ने मारपीट स्वीकार की।
“मामला निपट चुका है।” जनता अब SP से ठोस कार्रवाई की मांग कर रही है।
चांपा नगर में इन घटनाओं के बाद जनचर्चा तेज है। लोग कह रहे हैं —
“थाने में कबूलनामा, कार्रवाई में सन्नाटा — क्या यही न्याय है?”
“अगर SP चुप रहे, तो पुलिस पर से जनता का भरोसा उठ जाएगा।”
अब सवाल है की-
क्या SP विजय पांडेय अपने ही अधीनस्थों पर कार्रवाई करेंगे या फिर मामले को ‘अभयदान’ देकर ठंडे बस्ते में डाल देंगे?

चांपा थाना के बार-बार विवादों में आने से पुलिस तंत्र की साख पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
अगर खुले कबूलनामे और स्पष्ट तथ्यों के बावजूद कार्रवाई नहीं होती, तो यह न केवल न्याय व्यवस्था, बल्कि पुलिस की विश्वसनीयता पर भी गहरा धब्बा साबित होगा।

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